NCERT Class 6 History(इतिहास) Chapter 3


हड़प्पा : 

150 साल पहले पंजाब में रेलवे लाइन बिछाने वाले इंजीनियरों को अचानक हड़प्पा पुरास्थल मिला, जो आधुनिक पाकिस्तान में है| उन्होंने हजारों ईंटें उखाड़ कर रेलवे लाइन में लगा दी|
लगभग 80 साल बाद पुरातत्वविदों ने इस स्थल को खोजा तो पता चला कि यह खंडहर इस उपमहाद्वीप के सबसे पुराने शहरों में से एक है| चूँकि इस पुरास्थल की खोज सबसे पहले हुई तो बाद में इस तरह के पुरास्थल से जो भी इमारतें मिली उन्हें हड़प्पा सभ्यता की इमारतें कहा गया| इन शहरों का निर्माण 4700 वर्ष पहले हुआ था|

इन नगरों की विशेषता :

इन नगरों को दो या उससे अधिक हिस्सों में विभाजित किया गया था| प्रायः पश्चिमी भाग छोटा था और ऊँचाई पर बना था, जिसे पुरातत्वविदों ने दुर्ग कहा है| पूर्वी हिस्सा बड़ा था लेकिन नीचाई पर बना था, जिसे नगर कहा गया| दोनों हिस्सों की चारदीवारियां पकी ईंटों से बनाई जाती थी|
कुछ नगरों के दुर्ग में ख़ास इमारतें बनायीं गयी थी| जैसे मोहनजोदड़ों में ख़ास तालाब था, जिसे पुरातत्वविदों ने महान स्नानागार कहा है| इस तालाब को बनाए के लिए ईंट और प्लास्टर का उपयोग किया गया था| इसमें नीचे उतरने के लिए दो तरफ से सीढ़ी बनाई गयी थी और चारों ओर कमरे थे|

कालीबंगा और लोथल जैसे नगरों से अग्निकुंड मिले हैं, जहाँ संभवतः यज्ञ किये जाते होंगे| हड़प्पा, लोथल और मोहनजोदड़ो जैसे नगरों से बड़े-बड़े भण्डारगृह मिले हैं|

भवन, नाले और सड़कें : 

इन नगरों के घर आमतौर पर एक या दो मंजिल होते थे| घर के आँगन के चारों ओर कमरे बनाये जाते थे| अधिकांश घरों में अलग स्नानागार होता था और कुछ घरों में कुँए भी होते थे|
कई नगरों में ढंके हुए नाले थे जिन्हें सीधी लाइन में बनाया जाता था, घरों की नालियों को सडकों की नालियों से जोड़ दिया जाता था जो बाद में बड़े नालों में जुड़ जाती थी| नालों के ढंके होने के कारण इन्हें साफ़ करने के लिए जगह-जगह मेनहोल बनाये गए थे|
घर, नालों और सड़कों का निर्माण योजनाबद्ध तरीके से किया गया था|





पुरातत्वविदों को हड़प्पा पुरस्थलों से जो वस्तुएँ मिली हैं उनमें अधिकतर पत्थर, शंख, ताँबे, काँसे, सोने और चाँदी जैसी धातुओं से बनायीं गयीं थीं|
ताँबे और काँसे से औजार, हथियार, गहने और बर्तन बनाये जाते थे| सोने और चाँदी से गहने और बर्तन बनाये जाते थे|
यहाँ से मिली आकर्षक वस्तुओं में मनके, बाँट और फलक हैं|



हड़प्पा सभ्यता के लोग पत्थर की मुहरें बनाते थे| इन मुहरों पर सामान्यतः जानवरों के चित्र मिलते हैं|
हड़प्पा सभ्यता के लोग काले रंग से डिज़ाइन किये हुए खूबसूरत लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे|



संभवतः 7000 साल पहले मेहरगढ़ में कपास की खेती होती थी| मोहनजोदड़ो से कपड़े के टुकड़े के अवशेष चाँदी के एक फूलदान के ढक्कन तथा अन्य ताँबे की वस्तुओं से चिपके हुए मिले हैं| पकी मिट्टी तथा फेयोंस से बनी तकलियाँ सूत कताई का संकेत देती हैं|
अधिकांश वस्तुओं का निर्माण विशेषज्ञों द्वारा किया गया था|

हड़प्पावासियों को कुछ चीज़ें तो वहीँ मिल जाती थी, लेकिन ताँबा, सोना, चाँदी, लोहा और बहुमूल्य पत्थरों जैसे पदार्थों का आयात वे दूर-दूर से करते थे|
हड़प्पावासी ताँबे का आयात आज के राजस्थान तथा पश्चिम एशियाई देश ओमान से करते थे|
काँसा बनाने के लिए ताँबे में मिलाने वाली धातु टिन का आयत आधुनिक ईरान तथा अफगानिस्तान से किया जाता था| सोने का आयात आधुनिक कर्नाटक और बहुमूल्य पत्थरों का आयात गुजरात, ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता था|



लोग नगरों के अलावा गावों में भी रहते थे| वे अनाज उगाते तथा जानवर पालते थे| किसान और चरवाहे ही नगरों में रहने वाले लोगों को खाने का सामान देते थे| पौधों के अवशेषों से पता चला है के हड़प्पा के लोग गेहूँ, जौ, दालें, मटर, धान, तिल और सरसों उगाते थे|
जमीन की जुताई के लिए हलों का प्रयोग किया जाता था| हड़प्पा काल के हल तो बच नहीं पाए हैं, क्योंकि यह प्रायः लकड़ी के बने होते थे लेकिन हल के आकार के खिलौने मिले हैं|

लोथल का बंदरगाह:

3900 साल पहले बड़ा बदलाव देखने को मिला| लोगों ने नगरों को छोड़ दिया| लेखन, मुहर और बाँटों का प्रयोग बंद हो गया| दूर-दूर से कच्चे माल का आयात कम हो गया| मोहनजोदड़ो में सडकों पर कचरे के ढेर बनने लगे| जलनिकास प्रणाली नष्ट हो गयी तथा सडकों पर ही झोपड़ियां बनने लगी,
यह सब क्यों हुआ, इस बारे में विद्वानों के अलग-अलग मत हैं| जैसे: नदिओं सूखना, जंगलों का समाप्त हो जाना, मवेशियों के चारागाह और घास के मैदान समाप्त हो गए| कुछ इलाकों में बाढ़ आ गयी|
आधुनिक पाकिस्तान के सिंध और पंजाब की बस्तियां उजड़ गयी| कई लोग पूर्व और दक्षिण के इलाकों में नयी और छोटी बस्तियों में जाकर बस गए|

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